अथ एंटरटेनमेंट द्वारा पतंजलि आयुर्वेद के लिए विज्ञापन शूटिंग




इस विज्ञापन में हम किसानों की उन समस्याओं को दिखाते हैं जो अपनी मूलभूत समस्याओं को पूरा करने में भी असमर्थ हो रहे हैं।
पहले किसानः रामू काका (आदित्य लखिया) हैं जिनके पास अपनी बेटी (सुप्रिया कुमारी) की शादी करने के लिए पर्याप्त धन नहीं है।
दूसरे किसानः सौगारत (इस्तियाक खान) हैं जिनके पास इतना भी पैसा नहीं है कि अपने परिवार के लिए एक छोटा सा आशियाना तक बना सके।
तीसरे किसानः हरिया (ओमकार दास मानिकपुरी / नत्था) हैं जो महाजन से लिए कर्ज का ब्याज तक चुका पाने में असमर्थ है, परिणामस्वरूप महाजन उसके दरवाजे से गाय तक खोल कर ले जाता है।
एक सबसे युवा किसान (हेमंत पाण्डेय) है जो गांव की दयनीय हालत को देखकर बहुत उदास है और अपने गांव की भलाई चाहत है। वो चाहता है कि जो दिन आज उनके किसान भाई देख रहे हैं, उस चिंता की रेखा से सब बाहर निकल जाएं, कुछ ऐसा निदान हो। लेकिन क्या समाधान हो, इस पर वह संशय की स्थिति में है।
निष्कर्षतः पतंजलि की जानकारी होती है। गांव के किसानों के लिए वहीं से राह की प्रशस्ति होती है। पतंजलि के माध्यम से किसानों को अनाज पर उचित कीमत मिलती है। किसान पतंजलि को खड़ी अनाज देते हैं और बदले में किसानों को उचित रकम मिलती है। पतंजलि उन अनाजों से लाभकारी उत्पाद बनाते हैं और बाज़ार में उसे जायज मूल्य पर बेचते हैं। इस तरह से पतंजलि आयुर्वेद के माध्यम से किसानों की समस्याओं का समाधान होता है। अब वे किसान दिल से पतंजलि आयुर्वेद का आभार प्रकट करते हैं। इस विज्ञापन फिल्म को योग गुरु बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण जी ने खूब सराहा।


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